रहमान सऊदी अरब में रहता था। उसके साथ उसकी अम्मी और अब्बा भी रहा करते थे। अचानक उसकी माँ चल बसी तो उसने अम्मी का पार्थिव शरीर बक्से में पैक करवा कर अपने गाँव भेजा। गाँव में उसके भाई मकसुद ने बक्सा खोला तो देखा कि बक्से में अम्मी की लाश तो थी, लेकिन एक इंच जगह भी खाली नहीं थी। अम्मी के हाथ छाती पर थे और अंगुलियों में एक चिट्ठी फँसी थी। मकसुद ने ऊँची आवाज़ में वह चिट्ठी पढ़नी शुरू की। "प्यारे भाई मकसुद,शाहिद,शाह रुख,फैजल फिरोज और गफ्फुर , माफ़ करना मैं ख़ुद नहीं आ सका क्योंकि मेरी तनख़्वाह काट दी जाती। मैं अम्मी को बक्से में इसलिए भेज रहा हूँ, क्योंकि वह चाहती थी कि उसका क्रियाकर्म गाँव में ही हो। लाश के नीचे इंपोर्टेड चॉकलेट के कई पैकेट रखे हैं, इसे बच्चों में बाँट देना। यहाँ अखरोट अच्छे मिलते हैं इसलिए तुम्हें बक्से में अखरोट के भी दो बड़े पैकेट मिलेंगे। अम्मी के पैरों में तुम्हें दो जोड़े सैंडल के और एक जोड़ा रीबॉक जूतों का बंधा मिलेगा। सैंडल रूबीना खाला और सलमा के लिए हैं, और जूते हाफिज के लिए हैं। शायद साइज़ ठीक ही होगा। अम्मी ने चार जींस पहनी हुई हैं, एक तुम्हारे लिए, एक